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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी तृतीय प्रश्नपत्र - प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2679
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी तृतीय प्रश्नपत्र - प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्य

अध्याय - 5

सूरदास

 

प्रश्न- 'सूरदास को शृंगार रस का सम्राट कहा जाता है।" कथन का विश्लेषण कीजिए।

उत्तर -

काव्यशास्त्र में श्रृंगार रस को रसराज की संज्ञा दी गई है, क्योंकि वह मानव की कोमलतम संवेदना 'प्रेम' पर आधारित है। प्रेम व्यक्ति के जीवन और जगत् के प्रति आसक्ति का कारण है। वात्सल्य रस की भांति सूर साहित्य में श्रृंगार का भी अत्यधिक महत्व है। गोपियों के साथ श्रीकृष्ण की रास-लीला तथा अनेक प्रेम क्रीड़ायें इसी के अंतर्गत आती हैं। इन क्रीड़ाओं और रासलीला में श्रीकृष्ण और गोपियों का प्रेम अत्यधिक उज्जवल रूप में प्रस्फुटित हुआ है। सूरदास जी ने 'सूरसागर में प्रेम के प्रत्येक पक्ष को उसी कुशलता के साथ व्यक्त किया है, जिस कौशल से वात्सल्य को। श्रीकृष्ण के बाह्य सौन्दर्य पर गोपियों के रीझने का एक दृश्य है-

तरुणि निरखि रही प्रति अंग।
कोउ निरखि नख इन्दु भूली कोउ चरन जुग रंग।
कोउ निरखि नुपूर रही कोउ निरखि, जुग जानु।
कोउ निरखि जुग जंघ सोभा करति मन अनुमानु ॥

(क) रूप माधुर्य - श्रीकृष्ण के अंग-प्रत्यंग की माधुरी के प्रति गोपियाँ आकृष्ट थीं। वे कृष्ण के प्रति इतनी आकृष्ट थीं कि उन्हें घर का कोई काम-काज अच्छा नहीं लगता। सोते जागते सदैव श्रीकृष्ण का ही स्मरण करती थीं। श्रीकृष्ण के सौन्दर्य रस का पान करके वे अपनी सुधि-बुध खो बैठी थीं -

तरुनि स्याम रस मतवारि।
प्रथम जीवन रस चढ़ायो अतिहिं भई खुमारे ॥

(ख) प्रेम भावना गोपियाँ हरि नाम के अतिरिक्त सब कुछ विस्मृत कर चुकी हैं। प्रेम की यह पूर्णता देखिए - 

बन बीथिन निज पर गली जहाँ तहाँ हरि नाऊँ।
समुझाई समुझत नहीं सिख दे विथक्यौ गाऊँ॥

गोपियों का श्रीकृष्ण के प्रति यह प्रेम एक पक्षीय नहीं है अर्थात् ऐसा नही है कि केवल गोपियाँ ही श्रीकृष्ण से प्रेम करती हैं और श्रीकृष्ण नहीं। श्रीकृष्ण भी गोपियों के रूप से प्रभावित हैं, विशेष रूप से अपनी समवयस्का राधा से। राधा भी श्रीकृष्ण को देखते ही न्यौछावर हो जाती है।

चितै राधा रति नागर और।
नयन बदन छवि यों उपजत मानों ससि अनुराग चकोर॥

श्रीकृष्ण के प्रेम पास में बँध जाने पर राधा की भी दशा अन्य गोपियों के समान हो गई। वह भी अपने तन मन को विस्मृत कर बैठी। वह कहती हैं -

जब तें प्रीति स्याम सो कीन्हीं।
ता दिन में मेरे इन नैनन ने कछू नींद नहीं लीन्हीं॥

किन्तु राधा अपने प्रेम को व्यक्त नहीं होने देती। जब गोपियाँ उसके और श्रीकृष्ण के प्रेम की चर्चा करती हैं तो वह कहती हैं -

स्याम तों काहे की पहिचाने।
निमिष निमिष वह रूप न वह छवि रात कीजै जेहि जानि॥

(ग) विभिन्न क्रीड़ाएँ - सूरदास जी ने गोपियों और राधा के साथ किये गये श्रीकृष्ण की प्रेम- क्रीड़ा और रासलीला के विविध पक्षों का बहुत मनोहारी चित्रण किया है। पनघट प्रस्ताव, कुँज बिहार, यमुना स्थान, जल - केलि गोदोहन, झूले पर झूलना, रास नृत्य आदि शृंगार के अनेक प्रसंगों का सजीव चित्रण सूरसागर में हुआ है। गुरुजनों के बीच बैठी हुई राधा का श्रीकृष्ण से संकेत में वार्तालाप करने का अद्भुत ढंग देखिए -

स्याम अचानक आइ गये री।
मैं बैठी गुरुजन बिच सजनी देखत ही मेरे नैन नये री।
तब इक बुद्धि करी मैं ऐसी बेंदी सो कर परसो कियो री।
आप हँसे उत पान मसकि हरि अन्तर्यामी जानि लियो री।
लैकर कमल अधर परसायो देखि हरषि पुनि हृदय धर्यो री।
चरण छुवे, दौड़ नैन लगाये मैं अपनी भुज अंग भयो री॥

उपर्युक्त पदों में राधा अपनी सखियों से बताती हैं कि गुरुजनों के बीच रहकर भी उन्होंने किस प्रकार एक-दूसरे से प्रेम वार्ता कर ली। प्रेम क्रीड़ा में यह पक्ष भी अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

(घ) ऐन्द्रियता - सूरदास जी ने जयदेव और विद्यापति की भाँति सम्भोग श्रृंगार का चित्रण कई स्थानों पर बहुत ही स्थूल रूप में कर दिया है, जिसमें आलिंगन, चुम्बन, नख-क्षत, सम्भोग आदि का यथार्थ चित्रण है। पद्मावत में जायसी ने रत्नसेन और पद्मावती के सम्भोग का जैसा यथार्थ और स्थूल चित्र प्रस्तुत किया है, वैसा ही प्रभावशाली राधाकृष्ण का भी सम्भोग चित्रण है -

हरषि पिय प्रेम तिय अंक लीन्हीं।
प्रिय बिस वसन करि उलटि धरि भुजन भरि,
सुरति रति पूरि अति निबल कीन्हीं।
आपने कर नवनि आलक कुरवार हीं
कबहुँ बाँधे अतिहि लगत लोभा॥

'सूरसागर' में सम्भोग में ऐसे चित्र अनेक स्थलों पर हैं जिसमें नारी और पुरुष के सम्भोग के समस्त रूपों और अवसरों का चित्रण है, तथा प्रथम समागम, विपरीत रति, सुरति, अन्य श्रृंगार सज्जा आदि के अनेक प्रसंग हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- विद्यापति का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- गीतिकाव्य के प्रमुख तत्वों के आधार पर विद्यापति के गीतों का मूल्यांकन कीजिए।
  3. प्रश्न- "विद्यापति भक्त कवि हैं या श्रृंगारी" इस सम्बन्ध में प्रस्तुत विविध विचारों का परीक्षण करते हुए अपने पक्ष में मत प्रस्तुत कीजिए।
  4. प्रश्न- विद्यापति भक्त थे या शृंगारिक कवि थे?
  5. प्रश्न- विद्यापति को कवि के रूप में कौन-कौन सी उपाधि प्राप्त थी?
  6. प्रश्न- सिद्ध कीजिए कि विद्यापति उच्चकोटि के भक्त कवि थे?
  7. प्रश्न- काव्य रूप की दृष्टि से विद्यापति की रचनाओं का मूल्यांकन कीजिए।
  8. प्रश्न- विद्यापति की काव्यभाषा का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  9. प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (विद्यापति)
  10. प्रश्न- पृथ्वीराज रासो की प्रामाणिकता एवं अनुप्रामाणिकता पर तर्कसंगत विचार प्रस्तुत कीजिए।
  11. प्रश्न- 'पृथ्वीराज रासो' के काव्य सौन्दर्य का सोदाहरण परिचय दीजिए।
  12. प्रश्न- 'कयमास वध' नामक समय का परिचय एवं कथावस्तु स्पष्ट कीजिए।
  13. प्रश्न- कयमास वध का मुख्य प्रतिपाद्य क्या है? अथवा कयमास वध का उद्देश्य प्रस्तुत कीजिए।
  14. प्रश्न- चंदबरदायी का जीवन परिचय लिखिए।
  15. प्रश्न- पृथ्वीराज रासो का 'समय' अथवा सर्ग अनुसार विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  16. प्रश्न- 'पृथ्वीराज रासो की रस योजना का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  17. प्रश्न- 'कयमास वध' के आधार पर पृथ्वीराज की मनोदशा का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- 'कयमास वध' में किन वर्णनों के द्वारा कवि का दैव विश्वास प्रकट होता है?
  19. प्रश्न- कैमास करनाटी प्रसंग का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  20. प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चन्दबरदायी)
  21. प्रश्न- जीवन वृत्तान्त के सन्दर्भ में कबीर का व्यक्तित्व स्पष्ट कीजिए।
  22. प्रश्न- कबीर एक संघर्षशील कवि हैं। स्पष्ट कीजिए?
  23. प्रश्न- "समाज का पाखण्डपूर्ण रूढ़ियों का विरोध करते हुए कबीर के मीमांसा दर्शन के कर्मकाण्ड की प्रासंगिकता पर प्रहार किया है। इस कथन पर अपनी विवेचनापूर्ण विचार प्रस्तुत कीजिए।
  24. प्रश्न- कबीर एक विद्रोही कवि हैं, क्यों? स्पष्ट कीजिए।
  25. प्रश्न- कबीर की दार्शनिक विचारधारा पर एक तथ्यात्मक आलेख प्रस्तुत कीजिए।
  26. प्रश्न- कबीर वाणी के डिक्टेटर हैं। इस कथन के आलोक में कबीर की काव्यभाषा का विवेचन कीजिए।
  27. प्रश्न- कबीर के काव्य में माया सम्बन्धी विचार का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  28. प्रश्न- "समाज की प्रत्येक बुराई का विरोध कबीर के काव्य में प्राप्त होता है।' विवेचना कीजिए।
  29. प्रश्न- "कबीर ने निर्गुण ब्रह्म की भक्ति पर बल दिया था।' स्पष्ट कीजिए।
  30. प्रश्न- कबीर की उलटबासियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  31. प्रश्न- कबीर के धार्मिक विचारों को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कबीर)
  33. प्रश्न- हिन्दी प्रेमाख्यान काव्य-परम्परा में सूफी कवि मलिक मुहम्मद जायसी का स्थान निर्धारित कीजिए।
  34. प्रश्न- "वस्तु वर्णन की दृष्टि से मलिक मुहम्मद जायसी का पद्मावत एक श्रेष्ठ काव्य है।' उक्त कथन का विवेचन कीजिए।
  35. प्रश्न- महाकाव्य के लक्षणों के आधार पर सिद्ध कीजिए कि 'पद्मावत' एक महाकाव्य है।
  36. प्रश्न- "नागमती का विरह-वर्णन हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि है।' इस कथन की तर्कसम्मत परीक्षा कीजिए।
  37. प्रश्न- 'पद्मावत' एक प्रबन्ध काव्य है।' सिद्ध कीजिए।
  38. प्रश्न- पद्मावत में वर्णित संयोग श्रृंगार का परिचय दीजिए।
  39. प्रश्न- "जायसी ने अपने काव्य में प्रेम और विरह का व्यापक रूप में आध्यात्मिक वर्णन किया है।' स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- 'पद्मावत' में भारतीय और पारसीक प्रेम-पद्धतियों का सुन्दर समन्वय हुआ है।' टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- पद्मावत की रचना का महत् उद्देश्य क्या है?
  42. प्रश्न- जायसी के रहस्यवाद को समझाइए।
  43. प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जायसी)
  44. प्रश्न- 'सूरदास को शृंगार रस का सम्राट कहा जाता है।" कथन का विश्लेषण कीजिए।
  45. प्रश्न- सूरदास जी का जीवन परिचय देते हुए उनकी प्रमुख रचनाओं का उल्लेख कीजिए?
  46. प्रश्न- 'भ्रमरगीत' में ज्ञान और योग का खंडन और भक्ति मार्ग का मंडन किया गया है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
  47. प्रश्न- "श्रृंगार रस का ऐसा उपालभ्य काव्य दूसरा नहीं है।' इस कथन के परिप्रेक्ष्य में सूरदास के भ्रमरगीत का परीक्षण कीजिए।
  48. प्रश्न- "सूर में जितनी सहृदयता और भावुकता है, उतनी ही चतुरता और वाग्विदग्धता भी है।' भ्रमरगीत के आधार पर इस कथन को प्रमाणित कीजिए।
  49. प्रश्न- सूर की मधुरा भक्ति पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  50. प्रश्न- सूर के संयोग वर्णन का मूल्यांकन कीजिए।
  51. प्रश्न- सूरदास ने अपने काव्य में गोपियों का विरह वर्णन किस प्रकार किया है?
  52. प्रश्न- सूरदास द्वारा प्रयुक्त भाषा का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- सूर की गोपियाँ श्रीकृष्ण को 'हारिल की लकड़ी' के समान क्यों बताती है?
  54. प्रश्न- गोपियों ने कृष्ण की तुलना बहेलिये से क्यों की है?
  55. प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (सूरदास)
  56. प्रश्न- 'कविता कर के तुलसी ने लसे, कविता लसीपा तुलसी की कला। इस कथन को ध्यान में रखते हुए, तुलसीदास की काव्य कला का विवेचन कीजिए।
  57. प्रश्न- तुलसी के लोक नायकत्व पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- मानस में तुलसी द्वारा चित्रित मानव मूल्यों का परीक्षण कीजिए।
  59. प्रश्न- अयोध्याकाण्ड' के आधार पर भरत के शील-सौन्दर्य का निरूपण कीजिए।
  60. प्रश्न- 'रामचरितमानस' एक धार्मिक ग्रन्थ है, क्यों? तर्क सम्मत उत्तर दीजिए।
  61. प्रश्न- रामचरितमानस इतना क्यों प्रसिद्ध है? कारणों सहित संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
  62. प्रश्न- मानस की चित्रकूट सभा को आध्यात्मिक घटना क्यों कहा गया है? समझाइए।
  63. प्रश्न- तुलसी ने रामायण का नाम 'रामचरितमानस' क्यों रखा?
  64. प्रश्न- 'तुलसी की भक्ति भावना में निर्गुण और सगुण का सामंजस्य निदर्शित हुआ है। इस उक्ति की समीक्षा कीजिए।
  65. प्रश्न- 'मंगल करनि कलिमल हरनि, तुलसी कथा रघुनाथ की' उक्ति को स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- तुलसी की लोकप्रियता के कारणों पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- तुलसीदास के गीतिकाव्य की कतिपय विशेषताओं का उल्लेख संक्षेप में कीजिए।
  68. प्रश्न- तुलसीदास की प्रमाणिक रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
  69. प्रश्न- तुलसी की काव्य भाषा पर संक्षेप में विचार व्यक्त कीजिए।
  70. प्रश्न- 'रामचरितमानस में अयोध्याकाण्ड का महत्व स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- तुलसी की भक्ति का स्वरूप क्या था? अपना मत लिखिए।
  72. प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तुलसीदास)
  73. प्रश्न- बिहारी की भक्ति भावना की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
  74. प्रश्न- बिहारी के जीवन व साहित्य का परिचय दीजिए।
  75. प्रश्न- "बिहारी ने गागर में सागर भर दिया है।' इस कथन की सत्यता सिद्ध कीजिए।
  76. प्रश्न- बिहारी की बहुज्ञता पर विचार कीजिए।
  77. प्रश्न- बिहारी बहुज्ञ थे। स्पष्ट कीजिए।
  78. प्रश्न- बिहारी के दोहों को नाविक का तीर कहा गया है, क्यों?
  79. प्रश्न- बिहारी के दोहों में मार्मिक प्रसंगों का चयन एवं दृश्यांकन की स्पष्टता स्पष्ट कीजिए।
  80. प्रश्न- बिहारी के विषय-वैविध्य को स्पष्ट कीजिए।
  81. प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (बिहारी)
  82. प्रश्न- कविवर घनानन्द के जीवन परिचय का उल्लेख करते हुए उनके कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- घनानन्द की प्रेम व्यंजना पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  84. प्रश्न- घनानन्द के काव्य वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- घनानन्द का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  86. प्रश्न- घनानन्द की काव्य रचनाओं पर प्रकाश डालते हुए उनके काव्य की विशेषताएँ लिखिए।
  87. प्रश्न- घनानन्द की भाषा शैली के विषय में आप क्या जानते हैं?
  88. प्रश्न- घनानन्द के काव्य का परिचय दीजिए।
  89. प्रश्न- घनानन्द के अनुसार प्रेम में जड़ और चेतन का ज्ञान किस प्रकार नहीं रहता है?
  90. प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (घनानन्द)

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